उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक सकारात्मक पहल के रूप में निजी क्षेत्र की संस्थाओ, चिकित्सालयों एवं चिकित्सकों को परिवार नियोजन में पूर्ण सहयोग देने हेतु आमंत्रित किया गया है, जिससे प्रदेश के एफ.पी. 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके तथा जनसंख्या स्थिरीकरण के मुख्य उद्देश्यों की पूर्ति हो सके। ''हौसला साझेदारी'' के माध्यम से एक समर्पित आॅनलाइन पोर्टल बना कर निजी संस्थाओं/चिकित्सकों को मान्यता प्रदान करने तथा भुगतान करने की जटिल प्रक्रिया का सरलीकरण कर दिया गया है।
लंदन में आयोजित सम्मेलन एफ.पी. 2020 में एक परिवर्तनकारी क्षण था, जब वैश्विक समुदाय को वर्ष 2020 तक विश्व स्तर पर 120 मिलियन जोड़ों के लिए स्वैच्छिक परिवार नियोजन सेवाओं के विस्तार के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने के लिए प्रेरित किया गया। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उत्तर प्रदेश को 120 लाख से अधिक नए उपयोगकत्र्ता बनाए जाने का लक्ष्य मिला है, जो शायद किसी भी राज्य या प्रांत का विश्व स्तर पर सबसे बड़ा योगदान होगा। मौजूदा रूझानों से यह स्पष्ट है कि सार्वजनिक क्षेत्र अकेला इस विशाल कार्य को पूर्ण करने में सक्षम नहीं हैं तथा निजी क्षेत्र के व्यापक नेटवर्क से सार्थक तथा पर्याप्त सहयोग प्राप्त किया जाना अत्यन्त आवश्यक है, यद्यपि निजी सेक्टर अधिकांशतः नगरीय क्षेत्रों में ही केन्द्रित है। इस साझेदारी को बनाना एक सरल कार्य नही है, क्योकि निजी क्षेत्र के साथ परस्पर विश्वास की कमी तथा कागज आधारित आवेदन की जटिल, सरकारी, लंबी मान्यता प्रक्रिया का पूर्व अनुभव, जिसमें जनपद से मंजूरी के लिए बार-बार दौड़ना, जवाबदेही की कमी और विवेकाधीन शक्तियों के दुरूपयोग मुख्य है, जिनके कारण सरकारी कार्यक्रमों का आकर्षण खोता जा रहा है। स्पष्ट दिशानिर्देशो की कमी, निजी अस्पतालों को मान्यता प्रदान करने/निजी क्षेत्र के सर्जनों का इम्पैनल करने की लम्बी प्रक्रिया तथा सत्यापन, रिपोर्टिंग आदि की प्रक्रिया ने इसे और भी जटिल बना दिया था।
एक अभूतपूर्व पहल के तहत प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं सिफ्सा के माध्यम से संपूर्ण मुख्य हितधारकों जैसे विकासशील सरकारी सहयोगी संस्था बी.एम.जी.एफ., एफ.ओ.जी.एस.आई., आई.एम.ए., परिवार कल्याण महानिदेशालय, न्याय विभाग को सम्मिलित करते हुए वर्तमान स्थिति की समीक्षा, वर्तमान नीति, दिशानिर्देशो तथा निजी क्षेत्रों की सहभागिता में आ रही अड़चनों के परीक्षण का प्रयास किया। इस व्यापक प्रक्रिया के माध्यम से फीडबैक के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अत्यन्त महत्वाकांक्षी योजना ''हौसला साझेदारी'' की घोषणा की गई, जिसमें नीति एवं नियमों में भारी परिवर्तन करते हुए, पूरी पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए, सरल प्रक्रिया विकसित की गयी। हौसला साझेदारी कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या वृद्धि को स्थिरता प्रदान करने के लिए राज्य की निजी स्वास्थ्य संस्थाओं और परिवार नियोजन सर्जनों को हाथ मिलाकर सरकार की एफ.पी. 2020 के प्रति वचनबद्धता को पूर्ण करने के लिए योगदान करने हेतु आमंत्रित किया।
हौसला साझेदारी के अन्तर्गत निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य इकाईयों की सम्बद्धता और धनराशि के भुगतान की सम्पूर्ण प्रक्रिया को आॅनलाइन समर्पित वेब पोर्टल के माध्यम से सरल बनाया गया है, जो उ0प्र0 सरकार की सर्वोच्च समिति, स्टेट टास्क फोर्स की देखरेख में है जिसका नेतृत्व प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य करते है। इस राज्य स्तरीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष अधिशासी निदेशक सिफ्सा हैं तथा परिवार कल्याण महानिदेशालय के प्रतिनिधि, सिफ्सा, बी.एम.जी.एफ. की तकनीकी सहायता इकाई, अन्य विकासशील भागीदारों जैसे एफ.ओ.जी.एस.आई., आई.एम.ए. और क्षेत्र से सी.एम.ओ. के प्रतिनिधि इसकी क्रियाशीलता एवं रखरखाव हेतु सहयोग प्रदान करते हैं तथा 'हौसला साझेदारी' वेब पोर्टल में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान भी करते है।
निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता केवल पोर्टल को लाॅग-इन करके पोर्टल के निर्देशों का पालन कर सकते है। भारत सरकार द्वारा प्रदत्त मान्यता प्राप्त करने के मानदंड पोर्टल में निहित हैं और निजी क्षेत्र के प्रदाता अपना मूल्याँकन उपलब्ध चेकलिस्ट के आधार पर स्वयं कर सकते है। यदि वे पात्रता मानदंडो को पूरा करते हैं, तो उनके लिए इच्छा पत्र स्वतः उत्पन्न हो जाएगा। सम्बन्धित मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया आरम्भ करने के लिए उसी समय तुरन्त सूचना भी प्राप्त हो जायेगी। प्रदाता आॅनलाइन आवेदन की स्थिति की जांच कर सकते हैं। सिस्टम से उत्पन्न संदेशों के माध्यम से स्वीकृति या अस्वीकृति की स्थिति की जानकारी कारणों सहित मिल जाती है। यदि प्रदाता के आवेदन का अनुमोदन हो जाता है, तो उसे मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा मानकों के आधार पर सेवा प्रदान करने हेतु समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए बुलाया जाता है। जो सर्जन पात्रता की अर्हता को पूर्ण करते हैं, सी0एम0ओ0 कार्यालय के पैनल में शामिल होने के लिए आॅनलाइन आवेदन कर सकते है। मान्यता प्राप्त प्रदाता प्रतिपूर्ति हेतु सेवाओं और लाभार्थियों का विवरण अपलोड करने हेतु सक्षम हो जाते हैं। धनराशि का भुगतान शासनादेश में दिये गये मानकों के अनुसार सेवा के सत्यापन के पश्चात् किया जाता है। यदि इसमें कोई समस्या/शिकायत होती है तो वेब पोर्टल के माध्यम से एस.टी.एफ. को सीधे भेजी जा सकती है।
'हौसला साझेदारी' एक पहल है, जिसमें निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता परिवार नियोजन सेवाओं हेतु सरकारी कार्यक्रमों में योगदान दे सकते हैं तथा निजी अस्पताल/नर्सिग होम/संस्थाएं/व्यक्ति सरकार के साथ सम्बद्ध होकर या पैनल में शामिल हो कर सरकार द्वारा निर्धारित मानक प्रतिपूर्ति पैकेज के तहत परिवार नियोजन की सेवाएं प्रदान कर सकते हैै। सरकारी योजनाओं के तहत परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए कोई भी निजी संस्था जिसका भौतिक बुनियादी ढंाचा, गुणवत्ता और कर्मचारियों की पात्रता सरकारी मानदंडों के अनुरूप है, मान्यता प्राप्त करने हेतु अपना सहमति पत्र प्रस्तुत कर सकते है। जिन निजी सेस्थानों के पास परिवार कल्याण की सेवाएं प्रदान करने के लिए अच्छा अनुभव है, वह क्लीनिकल आउटरीच टीम (सी.ओ.टी.) की तरह भी सम्बद्ध हो सकते है और वे चयनित सरकारी स्वास्थ्य इकाईयों पर राज्य के एम.ओ.यू. के अनुसार सेवाएं प्रदान करके भुगतान प्राप्त कर सकते है। एक इम्पैनल्ड सर्जन अपनी इकाई पर सर्जरी कर सकता ह,ै यदि इकाई मान्यता प्राप्त है अथवा सर्जन स्वयं क्लीनिकल आउटरीच टीम का सदस्य हो। वह सरकारी स्वास्थ्य इकाईयों पर भी अपनी सेवाएं सरकार द्वारा निर्धारित दरो पर ंसी.एम.ओ. की सहमति से प्रदान कर सकता है। किसी एक जनपद से इम्पैनल्ड सर्जन भारत के किसी भी जनपद में सर्जरी कर सकता है।
हौसला साझेदारी वेब पोर्टल की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-वेब पोर्टल की वजह से निजी सेवा प्रदाताओं द्वारा सम्बद्धता प्राप्त करने और पैनल में शामिल होने में तेजी आई है। यह एक तरह का पहला उदाहरण है जहाँ निजी सुविधाओं को पांच वर्षो के लिए सम्बद्धता दी जा रही है तथा सेवा प्रदाता सर्जन को भी इमपैनल किया जा रहा है और एक उचित सरकारी प्राधिकारी द्वारा इम्पैनल प्रमाण पत्र भी प्राप्त हो रहा है। वेब पोर्टल द्वारा पूरे राज्य में परिवार नियोजन सेवाओं को प्रदान करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अतिरिक्त निजी क्षेत्रों में भी सेवाओं का आधार व्यापक किया गया है। इसी से कार्यक्रम की सफलता का मूल्याँकन किया जा सकता है कि पिछले छः माह में क्लीनिकल आउटरीच टीमों (सी.ओ.टी.) सहित लगभग 1200 निजी अस्पतालों ने आॅनलाइन आवेदन किया, जिसमें से 468 (13 सी.ओ.टी. सहित) पैनल में शामिल हुए। इसी प्रकार 900 से अधिक निजी क्षेत्र के सर्जनो ने नसबंदी सेवाओं (विभिन्न तकनीकों जैसे मिनीलैप, लेप््रोस्कोपिक नसबंदी और बिना चीरा बिना टंाका पुरूष नसबंदी आदि) पैनल में शामिल किए जाने हेतु आॅनलाइन आवेदन किया, जिसमें से अब तक 481 सर्जनों को पैनल में शामिल किया जा चुका है। निजी क्षेत्र की आशातीत प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित हो कर प्रदेश सरकार ने कम से कम 1500 निजी अस्पतालों को सम्बद्धता और निजी क्षेत्र में परिवार नियोजन की शल्य सेवाओं के लिए 1500 निजी सर्जनों को पैनल में शामिल करने का निर्णय लिया है।
प्रारंभिक आंकलन से प्रदर्शित होता है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी, कम से कम 1,00,000 परिवार नियोजन की शल्य क्रियाएं (महिला और पुरूष नसबंदी) करने मे सक्षम होगी जो अन्य अन्तराल गर्भ निरोधक विधियां जैसे आई.यू.सी.डी. और इन्जेक्टेबिल्स के अतिरिक्त है, जो समुदाय में परिवार नियोजन की उच्च अनमेट नीड की आवश्यकता की पूर्ति कर राज्य सरकार को सहयोग प्रदान कर रही हैं।